tag:blogger.com,1999:blog-409237489891107432024-03-08T03:33:08.167-08:00जीवनहर एक सवाल का जवाब बन
हर नींद का हसीं ख़्वाब बन। Unknownnoreply@blogger.comBlogger88125tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-73612835609748268192023-07-12T01:53:00.007-07:002023-07-12T01:53:55.904-07:00राह<p>भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी </p><p>जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे </p><p>दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी </p><p>देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे </p><p>राह पकड़ मनमानी ख़ुशी क्षणिक तुम्हारी </p><p>रास्ते अपने बदलने पे मजबूर हो जाओगे </p><p>मंजिल मिलेगी तुम्हे ये कह नहीं सकते </p><p>हर मोड़ पे लेकिन तुम हमें ही पाओगें </p><p>पलटना चाहोगे जो फिर से पीछे तुम </p><p>हर द्वार पे तुम टाला लटकता पाओगें </p><p>जो कोशिश की साथ चलने की तो फिर </p><p>वादा है सफर ख़त्म वही तुम पाओगे </p>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-64347907941090721352022-08-30T06:51:00.001-07:002022-08-30T06:56:54.836-07:00झुलसते सपनो के बीच टूटते सपनो के टुकड़ों पे जो हम सो रहे है<div>बीतते हर लम्हे में हम खुद को ही खो रहे हैं ।</div><div><br></div><div>समझ नही पा रहे अपनी इस मुश्किल का हल</div><div>आत्मा है दुखी बह रहे नेत्रों से जल निश्छल।</div><div><br></div><div>तलाश में सुकून के दिन भर यूं भागते भागते</div><div>मान बैठे आराम ही भागना चाहते ना चाहते।</div><div><br></div><div>भटकते भटकते जब इन रास्तों में तुम खो जाओगे</div><div>पाकर मेरा सान्निध्य पुनः तुम पथ प्रशस्त कर पाओगे।</div><div><br></div><div>याद रखना मैं मिलूंगा उसी जगह पे </div><div>जहा तुम कभी किसी और को न पाओगे।</div><div><br></div><div>गीता की कई बार हुई भाषा परिवर्तन</div><div>इस बार परिवर्तन पे गीता मैं बताऊंगा।</div><div>रचा जिस समय को देखने तेरी ताकत</div><div>उस ताकत का रहस्य मैं सुलझाऊंगा।</div><div><br></div><div>किया जो तुमने इंतजार जो इतने युग</div><div>रखो धैर्य और थोड़ा और जाओ रूक।</div><div>गलत वो झेलेंगे जो सही वो भी झेलेंगे</div><div>क्योंकि रात या हो सुबह बच्चे तो खेलेंगे।</div><div><br></div><div>हैं अधूरी ये कथा ये बात मेरी मान लो</div><div>पूरी तुम्हे ही करनी ये व्यथा भी जान लो</div><div>हो अगर पढ़ रहे दूसरी बार इस पंक्ति को </div><div>तुम्ही बदलोगे इस जग को ये बात मन में ठान लो।</div><div><br></div><div>-अमित(mAit)</div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-61655538835122105882022-08-25T16:34:00.004-07:002022-08-25T18:12:39.933-07:00 हारती किस्मत से लड़ती मेरी हिम्मत <p>बढ़ने लगे हद से ज्यादा जग में हैवानियत</p><p>जब होने लगे ज़माने भर में हमारी जिल्लत </p><p> कर्म क्षेत्र में हो वक़्त की बेइंतहा किल्लत</p><p>संदेह में हो जब हमारी ये सच्ची मासूमियत </p><p>खोने लगे आस्था श्रद्धा भक्ति प्रेरणा ये जगत </p><p>तब खुद से खुद जंग हैं ये समय की जरुरत</p><p>मरती उम्मीदों के संग मेरी असंख्य जुर्रत </p><p>पुराने खयालो के रंग मेरी अनूठी जिद्दत </p><p>भिड़ता रोज बचाने को धरा की ये अस्मत </p><p>हारती किस्मत से लड़ती मेरी अनंत हिम्मत। </p><p><br></p><p>-अमित (Mait)</p><p><br></p><p><br></p><p><br></p>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-48098638068851537022022-08-23T18:55:00.008-07:002022-08-23T18:55:42.748-07:00 राजनीतिआया था जो बन एक नए युग का गीत <div>आज है दफ़न ओढ़े स्वार्थ का संगीत </div><div><br /></div><div>मिल रही जो कुर्सी उसका न कोई मान </div><div>सिर्फ जेब भरने पे ही लोगो का ध्यान </div><div><br /></div><div>जो था धर्म का काम खो चूका सम्मान </div><div>हर तरफ हो रहा इसका अपमान </div><div><br /></div><div>बढ़ रही कुरीति घेरती अनीति <div>लोग समझ रहे इसे राजनीती </div><div><br /></div></div><div>अब भी वक़्त दूर करो ये अज्ञानता</div><div>चलो धर्म पथ पर लाओ समानता </div><div><br /></div><div>वरना एक दिन ये जग खुद बोलेगा </div><div>लोगो के दिल दिमाग का खून खौलेगा </div><div><br /></div><div>कुर्सी तो न दिखेगी तख़्त भी डोलेगा </div><div>सीधा प्रजा का प्रजा पे शासन होवेगा </div><div><br /></div><div>बैठेगा न कोई नेता कुर्सी पे कंप्यूटर बैठेगा </div><div>आवाज होगी जनता की पर मशीन बोलेगा </div><div><br /></div><div>लोकतंत्र का नया अध्याय अब जग में घोलेगा </div><div>न किसी को कोई व्यक्ति बेवजह तौलेगा </div><div><br /></div><div>-अमित (mAit)</div><div><br /></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-80904943362874480742022-08-16T18:39:00.001-07:002022-08-16T18:39:21.880-07:00उलझनजाएं तो जाए कैसे <span style="letter-spacing: 0.2px;">उस पार</span><div>बहाव पानी का बहुत तेज है</div><div>खुद को न जानना ही हार</div><div>बाकी सब तो सिर्फ जीत है</div><div>यूं तो खड़ी थी ट्रेन स्टेशन में</div><div>पहुंच न पाया ये खीझ हैं।</div><div><br></div><div>सुलगती रही आग कुछ</div><div>इस तरह सीने में</div><div>खुद को झुलसा दिन रात </div><div>भिगा पसीने में</div><div>आने लगा मजा बेपरवाह </div><div>खुशी से जीने में।</div><div><br></div><div>-अमित</div><div><br></div><div><br></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-75182362000005468442022-08-09T18:48:00.001-07:002022-08-09T18:48:16.397-07:00कोशिश एक और<div>जहा तक फैला सको फैला दो कोशिशें हजार</div><div>चाहे मिले नाकामी हो पराजय हजार बार</div><div>फिर खड़े हो करने पूरी क्षमता से वार <span style="letter-spacing: 0.2px;">प्रहार</span></div><div>जब तक ना पहन लो विजय श्री का <span style="letter-spacing: 0.2px;">हार।</span></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-21833502478490791252022-08-07T11:34:00.002-07:002022-08-07T11:34:12.188-07:00साल बीते आज यूं चलते चलते तुम्हारी याद आ गयी <div>तूफान के शोर में ये वीरानी क्यों छा गयी </div><div>संग चलते चलते क्यों ये रस्ते बदल गए</div><div>हम कही थे और तुम कही निकल गए। </div><div><br /></div><div>तुम साथ थी तो पानी भी शराब लगती थी </div><div>ये अमावस की रात भी गुलजार लगती थी </div><div>न जाने किसकी नजर लगी दिन जो बीती </div><div>बदल गयी समय की गति और परिस्थिति। </div><div><br /></div><div>चेहरा चाँद सा ना जाने किस आकाश में है </div><div>खोजने के खातिर दर बदर भटक रहा है</div><div>शायद खोज न अब इस जन्म पूरी होनी है </div><div>अब मेरी उम्मीदें खोखली आंखे सूनी है। </div><div><br /></div><div>साल बीते अब दो हजार पाँच सौ पांच </div><div>आशा ना छूटी न आयी ना कोई आँच </div><div>सिद्धार्थ से थेरा तक को दुनियाँ जानती</div><div>भूली क्यों जसोधरा माया को न मानती। </div><div><div><br /></div><div>-अमित </div><div></div></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-58262312730464589982022-08-05T09:40:00.001-07:002022-08-05T09:41:07.783-07:00सिर्फ तेरा ही नाम होगा।<div>कल जब इस जहां में गहन अंधकार होगा</div><div>इस नजर को तेरा सिर्फ तेरा इंतजार होगा</div><div>यूँ तो पीढ़ियां गुज़री हजारों काम करते करते</div><div>कोई ना जाने आने वाले कल क्या अंजाम होगा</div><div>पर लेने के लायक सिर्फ सिर्फ तेरा ही नाम होगा</div><div>हर दिल पर सिर्फ तेरा ही तेरा निशान होगा</div><div>हर राह के अंत में तेरा ही मुकाम होगा।</div><div>-अमित </div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-39187311611760533502022-08-04T10:03:00.001-07:002022-08-04T10:03:16.835-07:00इतिहास रच जायेगा।<div>आने वालों का हमें जर्रे जर्रे से इंतज़ार होगा</div><div>जब कल सुबह होगी तो दिन गुलज़ार होगा।</div><div><br></div>किसी का एक तो किसी का हजार बार होगा<div>दिल है जो मेरा हर किसी का शुक्रगुजार होगा।</div><div><br></div><div><div><br></div><div>खोया था सम्मान उसे पाया जाएगा</div><div>सोया था जो शेर उसे जगाया जायेगा</div><div>होने को तो अभी भी काफी हैं पर</div><div>अपनी ताकत को और बढ़ाया जाएगा</div><div>जो उठाते है उंगलियां खामखां हमपर</div><div>उन्हें वक्त आने पर दिखा दिया जायेगा</div><div>तिरंगा जब फहराएगा करोड़ों घरों में</div><div>तब वक्त खुद ही इतिहास रच जायेगा।</div></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-68179560262542451732022-08-03T09:52:00.006-07:002022-08-04T10:03:57.947-07:00चाहत<p>बिना तेरी चाह के चाहा हर रोज तुझे खुद से भी ज्यादा </p><p>न हुई कोई मुलाकात हमारी न देखी तेरी सूरत दुबारा </p><p>बीते साल पे साल पर न प्रेम हुआ कम पर आँखे नम </p><p>बीत जाये जिंदगी सारी पर हमारी ये उम्मीद है कायम </p><p>मिलेंगे उसी रस्ते पे जिसपे थे कभी एक दूसरे के संग</p><p>देखेगा ये जहां एक अधूरे पर अनूठे प्रेम के नूतन रंग। </p><p><br></p><p>-अमित </p><p><br></p><p><br></p><p><br></p>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-22698251615055871912022-08-02T08:11:00.001-07:002022-08-05T09:49:27.914-07:00In meeting with soulI feel the hazards of waste<div>Filled in many human brain </div><div>Looks like just now normal</div><div>But with depth not so formal</div><div><br></div><div>With eagernes we all are loosing</div><div>Due to lack of inner voice listening</div><div>All the people want to do the same</div><div>But everyone want name and fame</div><div><br></div><div>Let's begin the change in right</div><div>Look at the innovative sight</div><div>Be the first to hold the light</div><div>Make other life more bright</div><div><br></div><div>One day there will be only life</div><div>Without repetition of the vibes</div><div>Signatures of ours in the time</div><div>All world smile in my regime.</div><div><br></div><div><br></div><div>-MAIT</div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-31541704700912251252022-07-31T07:24:00.002-07:002022-07-31T07:24:15.323-07:00स्वतंत्रता<p><br /></p><p>जिस स्वतंत्रता का सूर्य न होगा कभी अस्त</p><p>गान करता देश समस्त, दिन है वो पंद्रह अगस्त। </p><p><br /></p><p>जिज्ञासा थी जिस आज़ादी की मिली वो अंशतः </p><p>बाकि है स्थापित होनी सद्भाव सद्मार्ग शांति पूर्णतः। </p><p><br /></p><p>७५ वर्ष भी पड़े कम पाने में लक्षित गति </p><p>अब तय करने होंगे त्वरित और तीव्र रणनीति। </p><p><br /></p><p>अब बात नहीं करने होंगे सारे लंबित काम तमाम </p><p>वरना आगे होंगे न इतिहास में हमारे तुम्हारे नाम। </p><p><br /></p><p>ज्ञान जो एकत्रित किया सदियों से उसका मान रखो </p><p>अनुपयोग पे काम करो सदुपयोग पे जान रखो। </p><p><br /></p><p>जो समझे उसे समझाओ वक़्त यूँ अब न बिताओं </p><p>युद्ध के द्वार पर बैठे मायूसी से सर न झुकाओ। </p><p><br /></p><p>शायद मुश्किल हो जीत ये लेकिन लड़ना बहुत जरुरी है </p><p>अब आगे तुम सब ये देखोगे यही अंतिम मजबूरी है। </p><p><br /></p><p>धर्म युद्ध की इस बेला पर अब हाथ जो न उठा पायेगा</p><p>अधर्म का वाहक उसका सर तन से उड़ा ले जायेगा। </p><p><br /></p><p>आज शायद ये सोच कर तुम गलत को सह जाओगे </p><p>कल सही खोजने को तुम यूही भटकते रह जाओगे। </p><p><br /></p><p>शाम को जब कोशिशों के बाद नींद ना तुम्हें आयेगी </p><p>याद रखना मेरी ही बात तुमको स्वप्न में ले जाएगी। </p><p><br /></p><p>शब्द भटक सकते है मेरे अर्थ तुम कुछ भी निकाल लेना </p><p>भावनाओं के मेरे इस भवसागर से तुम स्वयं को बचा लेना। </p><p><br /></p><p>-अमित (M AIT )</p><p><br /></p>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-55982832543750576342022-07-29T10:22:00.006-07:002022-07-29T10:37:48.087-07:00समेट जरा बिखरकर <blockquote style="border: none; margin: 0px 0px 0px 40px; padding: 0px; text-align: left;"><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">सर को झुकाकर </span></p></blockquote><blockquote style="border: none; margin: 0px 0px 0px 40px; padding: 0px; text-align: left;"><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">तन को तुड़वाकर </span></p><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">साथ सबके मिलकर </span></p><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">मन की आवाज़ दबाकर </span></p><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">भाग रही भीड़ इस दंभ पर। </span></p></blockquote><blockquote style="border: none; margin: 0px 0px 0px 40px; padding: 0px; text-align: left;"><p style="text-align: left;"><br /></p><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">सोयी दुनियाँ होने भोर पर </span></p><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">कैसे होगी पार ये दौड़ कर </span></p><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">शक्ल तो है रंग उस दीवार पर </span></p><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">पार उसके क्या ये तो तू गौर कर </span></p><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">साथ अपना दे इस दुनियाँ को छोड़ कर। </span></p><p style="text-align: left;"><br /></p></blockquote><blockquote style="border: none; margin: 0px 0px 0px 40px; padding: 0px; text-align: left;"><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">समेट जरा बिखरकर </span></p><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">उठ जरा सा गिरकर </span></p><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">हो न बेचैन अब सब्र कर<br /></span></p><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">अपनी धुंध का तू अंत कर</span></p><p></p></blockquote><blockquote style="border: none; margin: 0px 0px 0px 40px; padding: 0px; text-align: left;"><p style="text-align: left;"></p><p style="text-align: left;"><span style="font-size: medium;">मिलेगी सफलता उसी पथ पर। </span></p><p></p></blockquote><p style="text-align: left;"><br /></p><p> -अमित(Mait )</p><p style="text-align: left;"></p><p><br /></p><p><br /></p>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-55261775760438606962022-07-25T12:24:00.001-07:002022-07-25T12:35:05.789-07:00शपथबीत गई वो रात <div>जिसकी करते थे बात</div><div>चल पड़े नए पथ पर</div><div>लेकर नई शपथ।</div><div><br></div><div>अब ये पथिक</div><div>न घाव देखेगा अपने</div><div>न देखेगा कोई सपने</div><div>न देगा कदमों को रुकने</div><div>ले शपथ चला अपने पथ।</div><div><br></div><div>थाम सको तो थामो हाथ</div><div>दे सकते तो दो साथ</div><div>न करना विश्वासघात</div><div>इतना करो आत्मसात</div><div>हो चाहे दिन या रात।</div><div><br></div><div>बहुत हुआ ये पथ का पाठ</div><div>लक्ष्य से भटके हुए हालात</div><div>स्वयं किए तुमने आघात</div><div>अब कहते हो क्या हुई बात</div><div>थोड़ा तो करो शर्म और लाज</div><div>झुक न सको तो स्नेह ही दो</div><div>स्नेह न हो तो आदर ही दो</div><div>वो भी न हो तो निरादर न हो</div><div>जीवन पथ की हो यही शपथ।</div><div><br></div><div><br></div><div>"एक सत्य ही एक धर्म <span style="letter-spacing: 0.2px;">सत्यपथ ही सत्यधर्म सनातनम</span></div><div><span style="letter-spacing: 0.2px;">समय घड़ी ही ईश्वरत्व कालचक्र परमेश्वर आदिअनंतम"</span></div><div><br></div><div>-अमित(Mait)</div><div><br></div><div><br></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-86745002427067717252022-07-24T04:36:00.004-07:002022-07-24T04:44:58.435-07:00लक्ष्य वही है बस राह बदल गए <p><br /></p><p>कुछ बाते यूँ ही लिखे गए </p><p>विवाद यही कि क्यों न पढ़ें गए</p><p>लगता है तुम्हें किताब बदल दिए </p><p>किताब वही हैं बस पन्ने पलट गए। </p><p><br /></p><p>कल न किसी ने रोटी खिलाये </p><p>आज मौत पे उसकी नेता भी रो दिए </p><p>खीचने फोटो लोग ये तमाम भिड़े </p><p>गर खुलवा लेते उसके ओठ सिले </p><p>न बुझते देश के गुमनाम दिये। </p><p><br /></p><p>कोई रोये कितना अंत में तो हँसे </p><p>मुस्कान हर हाल के चेहरे में दिखे </p><div>न किसी का किसी से दिल दुखे</div><p>आशा यही आबाद हर कोई रहे। </p><div><br /></div><p>थके कितना नींद सुकून की मिले </p><p>नींद वही है बस ख्वाब बदल गए </p><p>शब्द वही है बस विचार बदल गए </p><p>लक्ष्य वही है बस राह बदल गए। </p><p><br /></p><p>-अमित </p>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-35622601994639447422022-07-12T03:53:00.000-07:002022-07-12T03:53:56.644-07:00स्मृतिकल रात सोया<div>सुबह उठा फिर सोया <div>सोकर उठा और फिर सोया</div><div>ना जाने इस आलस में मैंने</div><div>कितने कीमती पलो को खोया।</div><div><br></div><div>जब उठा पलंग से </div><div>सूरज दूर क्षितिज से</div><div>चमक रहा आग के गोले सा</div></div><div>सूखे गमले में पौधों को</div><div>पानी डाल मुस्काया मैं।</div><div><br></div><div>सपना जो देखा वो </div><div>स्मृति में ठहरा इस कदर</div><div>न भूल सका मैं कई पहर</div><div>कोशिश की जब लिखने की</div><div>भूला पहला ही अक्षर।</div><div><br></div><div>डराते हैं जो सपने </div><div>वो कई बार जगाते भी है</div><div>जो लुभाते है अपने</div><div>वो कई बार सताते भी है</div><div>स्मृति का खेल ये।</div><div><br></div><div>-अमित(Mait)</div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-17134096723798126212022-07-12T00:29:00.001-07:002022-07-12T00:29:09.294-07:00कब चालू होगा<div>रथ जो ठहरा ये</div><div>ज्ञान का</div><div>फैले हुए अज्ञान से</div><div>पता नही</div><div>कब चालू होगा।</div><div><br></div>रुका जो चक्र ये <div>शुद्धता का</div><div>फैले हुए प्रदूषण से</div><div>पता नही</div><div>कब चालू होगा।</div><div><br></div><div>बाधित हुआ पथ ये</div><div>मानवता का</div><div>फैली हुई कट्टरता से</div><div>पता नही</div><div>कब चालू होगा।</div><div><br></div><div><br></div><div>-अमित(Mait)</div><div><br></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-14061929272040220652022-07-10T11:56:00.006-07:002022-07-10T11:56:59.916-07:00अनूठा सफरहारती कोशिशों में मैं हूँ <div>फस चुका इस कदर </div><div>बीतते हर लम्हे में रहा </div><div>खो अपनी उमर </div><div>अब तो सांसे लेना भी </div><div>होता जा रहा दूभर।</div><div><br /></div><div>थका हूँ विश्राम से मैं </div><div>हर रोज इस कदर </div><div>उठता हूँ सुबह तो दिन </div><div>जाता है ठहर </div><div>कोशिश आगे बढ़ने की </div><div>पर बीतते सिर्फ पहर। </div><div><br /></div><div><br /></div><div>उठ गया जो मैं चलने </div><div>अपना ये सफर </div><div>ख़त्म होगी हर मुश्किल </div><div>बनेगा अमृत हर जहर</div><div>जहाँ चाह वहाँ राह </div><div>ये एक ही डगर। </div><div><br /></div><div><br /></div><div>तेरा साथ हो या न हो </div><div>मै चलूँगा हर पहर </div><div>मोह से भी न रुकूंगा </div><div>न कोई गांव न शहर </div><div>ध्येय से पहले न थमेगा </div><div>मेरा ये अनूठा सफर। </div><div><br /></div><div>-अमित(Mait )</div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-83287985656006977642022-07-10T11:40:00.002-07:002022-07-10T11:40:12.267-07:00चुप क्यों हैं तू<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h4 style="text-align: left;">चुप क्यों हैं तू,</h4>
<br />
मैं नारी हूँ, मैं हारी हूँ<br />
ना तू यह मलाल कर,<br />
ना खड़ी तू देख गलत को,<br />
अब तो तू बवाल कर,<br />
<br />
रास्ते ना मिले तो तू,<br />
खुद की राह निर्माण कर।<br />
<br />
चुप क्यों हैं तू,<br />
ना तू अपनी आवाज दबा,<br />
अब तो तू सवाल कर,<br />
ना मिले जवाब तो,<br />
खुद जवाब तलाश कर,<br />
कुछ तो अच्छा ढूँढ़ ले खुद में,<br />
ना मन को यूँ तू उदास कर।<br />
<br />
चुप क्यों हैं तू,<br />
जो भी पास है तेरे,<br />
उससे ही तू कमाल कर,<br />
शिक्षित हुआ समाज,<br />
फिर भी कोख़ में मारी है,<br />
ना खड़ी तू देख गलत को,<br />
अब तो तू बवाल कर।</div><div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br /></div><div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"> <br />
<br />
<br />
<br /><br />
<br />
<br />
<br /></div>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-26147731092412086092022-07-10T11:38:00.010-07:002022-07-10T11:38:53.076-07:00हिंदी दिवस मनाने को<p>जो करे साइन न करे हस्ताक्षर </p><p>न कर सके प्रण जो बच्चो को </p><p>हिंदी माध्यम में पढ़ाने का </p><p>नहीं है अधिकारी वो </p>हिंदी दिवस मनाने को <br /><p>हिंदी नहीं कोई मंजिल ये तो हैं सफर<br />कोरोना की चिंगारी पर माँ ये भारी <br />प्रारम्भ होना चाहिए देश का विकास </p><p>पिता का पत्र हिंदी मूल महाकाल</p><p>शोर मत करो बनो परिश्रमी किसान</p><p>जो बोओगे वही काटोगे जाओ मान </p><p>हिंदी ही है हिंदुस्तान की जान। </p><p><br /></p><p>अमित(MAIT)</p><p> <br /></p><p><br /></p><div alt="0" id="SL_balloon_obj" style="display: block;"><div id="SL_shadow_translator"><div id="SL_planshet"><div id="SL_alert_bbl"><div id="SLHKclose" style="background-attachment: scroll; background-clip: initial; background-color: rgba(0, 0, 0, 0); background-origin: initial; background-position: 0% 0%; background-repeat: repeat; background-size: initial; background: rgba(0, 0, 0, 0) url("moz-extension://f73cb9b3-f0c0-4b20-8c83-8f2846d144d3/content/img/util/delete.png") repeat scroll 0% 0%;"></div><div id="SL_alert_cont"></div></div><div id="SL_TB"><div cellspacing="1" id="SL_tables"><br /></div></div></div></div></div>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-30568088989989716452022-07-10T11:28:00.003-07:002022-07-10T11:28:22.441-07:00 उद्देश्य <p>चले मीलों बिना उद्देश्य </p><p>मिला न कोई भी सन्देश। </p><p><br /></p><p>जब चले संग ले लक्ष्य एक </p><p>मिला जीवन को ये उद्देश्य। </p><p><br /></p><p>भोर में उठ कर भागा जो भी </p><p>साँझ में उसका हक़ विश्राम </p><p>हो किसी का जीवन संग्राम</p><p>जीत मिली और भागी हार </p><p>जिसने आगे बढ़ किया प्रहार। </p><p><br /></p><p>-अमित(Mait)</p><p><br /></p><p><br /></p><p></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-19786456632870328052022-07-10T11:16:00.006-07:002022-07-10T11:16:49.661-07:00 स्वप्न <p>स्वप्न जो था </p><p>सच न वो था </p><p>सुकून था </p><p>पर जो भी था </p><p>टूटा जब </p><p>टूटा मैं </p><p>अंदर से। </p><p><br /></p><p>जगा जब </p><p>जग सोया था </p><p>भोर हुआ था </p><p>तारे लौटते थे </p><p>सूर्य क्षितिज पे </p><p>इंतजार में </p><p>नयी सुबह के। </p><p><br /></p><p>उठा बिस्तर से </p><p>न निकला स्वप्न से </p><p>दुविधा ऐसी </p><p>जान लगी फसी </p><p>गायब हुई हसी </p><p>स्वप्न सही या </p><p>जीवन सही। </p><p><br /></p><p>लड़ाई चली उम्र भर</p><p>न स्वप्न हुए ख़त्म </p><p>न भरे कोई जख्म </p><p>चोट ऐसी दिल पे </p><p>खायी ऐसी हमने </p><p>सो जाये तो भय </p><p>जागे तो लगे स्वप्न।</p><p><br /></p><p>-अमित(Mait) </p>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-70730388078918814542022-07-10T11:06:00.001-07:002022-07-10T11:06:13.618-07:00युद्ध का तत्व<p>जंग के मैदान में जब खुद को पाया </p><p>लड़ने से न खुद को रोक पाया </p><p>काल का साया चहुओर छाया </p><p>युद्ध गीत जो तुमने गाया </p><p>तैयार खुद को हमने पाया। </p><p><br /></p><p>उखड़ने लगे आलीशान दरख़्त</p><p>ह्रदय होने लगे कुछ और सख़्त </p><p>जमीं पे फैलने लगा लाल रक्त </p><p>समझ गया बचा है कम वक़्त </p><p>यही इस युद्ध का तत्व। </p><p><br /></p><p>-अमित(Mait) </p>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-10765234079729464122022-07-10T10:53:00.004-07:002022-07-10T10:53:26.365-07:00चांदनी<p>जिस चाँद के लिए सूरज को भुलाया</p><p>किसी और के लिए मुझे किया पराया। </p><p><br /></p><p>जिसके लिए रात भर खुद को जलाया</p><p>दिन होते ही अपने लिए अँधेरा पाया। </p><p><br /></p><p>शाम को जब दुबारा चाँद आया </p><p>चांदनी ने दिल को खूब रिझाया। </p><p><br /></p><p>खो गयी सारी की सारी छाया </p><p>जब अमावस्या का दिन आया। </p><p><br /></p><p>आज तो ऐसा दिन हैं आया</p><p>खोयी चांदनी खोया उजाला। </p><p><br /></p><p>न प्याली बची न प्याला </p><p>ख़त्म हुई मधुशाला।</p><p><br /></p><p>-अमित(Mait )</p>Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-40923748989110743.post-21342038096366182022-07-09T06:55:00.000-07:002022-07-09T06:55:44.520-07:00नजारासुना कि जल रहा किसी का नीड़<div>नजारा देखने लगी है बहुत भीड़।</div><div><span style="letter-spacing: 0.2px;">अब चलना होगा एक नए सफर पर</span></div><div><span style="letter-spacing: 0.2px;">पाने हर समस्या की स्थिर तदबीर </span></div><div><span style="letter-spacing: 0.2px;">लिखने को एक नई तक़दीर।</span></div><div><span style="letter-spacing: 0.2px;"><br></span></div><div><span style="letter-spacing: 0.2px;">बताया रास्ता जो बताने वालों ने मुझे</span></div><div><span style="letter-spacing: 0.2px;">पथिक को गलत या नज़र सही आया।</span></div><div><span style="letter-spacing: 0.2px;">जब पहले पड़ाव से पहले ये दिन गया गुजर</span></div><div><span style="letter-spacing: 0.2px;">साथ देने वादा किया जिन्होंने वो गए मुकर।</span></div><div>छाया जो नशा हमे इस डूबती शाम का</div><div>इस नजारे को सुबह की शुरुआत बताया।</div><div>जाए जिसको जाना हो वापस लौट कर </div><div>हमे तो केवल अपने लक्ष्य को हैं पाना।</div><div><br></div><div>नजारा कुछ यूं बदला चलते चलते </div><div>साथ देने का वादा किया जिन्होंने</div><div>वो सब नदारद हुए कारवां से</div><div>जब मुकम्मल हुआ सफर तो </div><div>पैर थे अंजुमन में।</div><div><br></div><div>हर नजारा हैं बिखरता</div><div>कौन समय जो टिकता</div><div>उजाले के बाद अंधेरा </div><div>रात के बाद सवेरा।</div><div><br></div><div>मौका जो मिले मुझे बता देना</div><div>अगर हो कोई शिकवे गिले</div><div>की कौन सा नजारा जो भाया</div><div><span style="letter-spacing: 0.2px;">कौन जिसने आखो को भिगाया</span></div><div><span style="letter-spacing: 0.2px;">हो सके जहा तक साथ चले</span></div><div><span style="letter-spacing: 0.2px;">पूछने का मौका मिले न मिले।</span></div><div><span style="letter-spacing: 0.2px;"><br></span></div><div>अब देख कर मेरे कातिल को </div><div>न <span style="letter-spacing: 0.2px;">मेरी रूह कांपी थी</span></div><div>शरीर ठंडा हो चुका मेरा </div><div>देख उसने जश्न मनाया था</div><div>फेक सड़क पर मेरी लाश</div><div>हुआ वो थोड़ा हताश</div><div>की फेका वो तो मिट्टी था</div><div>बन मटका फिर वो आएगा</div><div>पी कर पानी उस मटके का</div><div>जब वो शांत हो जायेगा</div><div>उभर पड़ेगा वो विष</div><div>जो उसने जग में घोला था</div><div>अंत होगा जब उसका</div><div>वो संभल न पाएगा।</div><div><br></div><div>लौटूंगा फिर इसी पावन धरा पर</div><div>यही मेरी पहली और अंतिम प्रण</div><div>ले वे भले प्राण मिले जीवन अल्प</div><div>पर न बदला न बदलेगा ये संकल्प।</div><div><br></div><div>-अमित(Mait)</div><div><br></div><div><div><br></div></div>Unknownnoreply@blogger.com0