शुक्रवार, 15 मार्च 2019

बून्द एक

दुनिया मे अच्छी कहानियों की कमी सिर्फ इसलिए है
क्योकि लोग किताबों को कवर देख के पढ़ने लगे है।

खोल सकते नही जब सच सबके सामने
तो क्यों आ जाते है लोग झूठ के साथ मे।

है जरूरत कुछ किताबो को खोलने की
साथ उनकी नसीहतों को तौलने की।

जीत हो या हार हर बार उठ खड़ा लड़ने की
दिखाई दे ना मार्ग तो हर द्वार खोलने की।

बून्द को होता नही सरोकार अपनी ताकत का
जरूरत होती सिर्फ एक साथ हुकूमत का।

पत्थर भी कट जाते उन बूंदों के बहाव में
चाँद क्या है सूरज भी धूमिल हो जाता बादल की छाव में।

बस चले अगर आपके शौर्य का
तो मनुष्य क्या ईश्वर भी आपका।।

राह

भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी  जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे  दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी  देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे  राह...