चले मीलों बिना उद्देश्य
मिला न कोई भी सन्देश।
जब चले संग ले लक्ष्य एक
मिला जीवन को ये उद्देश्य।
भोर में उठ कर भागा जो भी
साँझ में उसका हक़ विश्राम
हो किसी का जीवन संग्राम
जीत मिली और भागी हार
जिसने आगे बढ़ किया प्रहार।
-अमित(Mait)
चले मीलों बिना उद्देश्य
मिला न कोई भी सन्देश।
जब चले संग ले लक्ष्य एक
मिला जीवन को ये उद्देश्य।
भोर में उठ कर भागा जो भी
साँझ में उसका हक़ विश्राम
हो किसी का जीवन संग्राम
जीत मिली और भागी हार
जिसने आगे बढ़ किया प्रहार।
-अमित(Mait)
भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे राह...