जहा तक फैला सको फैला दो कोशिशें हजार
चाहे मिले नाकामी हो पराजय हजार बार
फिर खड़े हो करने पूरी क्षमता से वार प्रहार
जब तक ना पहन लो विजय श्री का हार।
भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे राह...