जिस चाँद के लिए सूरज को भुलाया
किसी और के लिए मुझे किया पराया।
जिसके लिए रात भर खुद को जलाया
दिन होते ही अपने लिए अँधेरा पाया।
शाम को जब दुबारा चाँद आया
चांदनी ने दिल को खूब रिझाया।
खो गयी सारी की सारी छाया
जब अमावस्या का दिन आया।
आज तो ऐसा दिन हैं आया
खोयी चांदनी खोया उजाला।
न प्याली बची न प्याला
ख़त्म हुई मधुशाला।
-अमित(Mait )