सोमवार, 29 अप्रैल 2019

अंतर्मन

प्रेम से प्रेम की कीमत तय नहीं की जा सकती 
कीमत तो चीजों की होती है भावनाओ की नहीं 
नापते तौलते तो लोग सांसो को भी है आजकल 
वरना जिंदगी फ़क़ीर भी जीते है राजाओ की तरह 

जरूरते मेरी तय करते आये है जो आज तक 
सुन ले वो सभी जहाँ के अंतिम फलक तक 
ना अब मैं सुनने वाला हूँ उनकी थोड़ी सी भी 
पर चाहूंगा कुछ अधूरा ही सही सुने वो मेरी भी 
 

 

शनिवार, 6 अप्रैल 2019

उपालम्भ

शिकायत ये नहीं की शिकायत क्यों है उन्हें मुझसे
शिकायत तो है उस जिक्र से शिकायत तो है खुद से।

शिकवे की उम्र ही क्या होती अगर समझ थोड़ी बड़ी होती
पानी भी बहता है ढलान पे समतल में कोई नदी नहीं होती।

रात में उजाले के लिए सूरज से शिकायत नहीं की जाती
तकदीर में हो कांटे तो भी कोशिश कम नहीं की जाती।

हसरतें हैरान कर देती है कभी - कभी इस दुनिया में
जब किसी की मुस्कराहट भी बन जाती है शिकायते।
 
सुबह उठ चल देते आईने में खुद को देख कर एक बार
दिन भर ना रहता उनको खुद की शिकायतों से सरोकार।

न्यायालयों में ना होता रुके हुए मामलो का ये वृहद् अम्बार
अगर लोग शिकायत करते इंसान की बजाय कर्म विचार।

अब लगता है लोग शिकायत भी अपनी रूचि से करते है
मिले फायदा तो गन्दगी छोड़ सफाई की खिलाफत करते है।

हर वक़्त न्याय सुलभ हो ये जरुरी नहीं होता
कभी तो सुलझाओ खुद को आइना दिखाकर
वक़्त की आदत है लौटाना हिसाब देखकर
न करना कभी शिकायत हैसियत देखकर।

है रास्ता जाता कहा शिकायतों ये तो पता नहीं मुझको लेकिन
दुसरो के बारे में बोलने वालो को उँचाई छूते देखा नहीं मैंने।

किस्मत की शिकायत करने वाले अक्सर भूल जाते है
रास्ते की कीमत सिर्फ चलने वाले ही जानते है
लक्ष्य तक तो एक अनपढ़ भी पहुंच सकता है
जरुरत जोश, साहस और आत्मविश्वास की होती है।

है नहीं अंत इस शिकायतों की दुनिया का लेकिन
हम भी लड़ेंगे जब तक होगा संभव और मुमकिन।

कुछ दीये आँधिया भी रात जल कर बिताते है
और कुछ की तो पूरी शाम भी नहीं होती
तजुर्बा होना अच्छा होता है बढ़ने के लिए आगे
पर कोशिशों और हार का अपना मजा होता है

बैठे बैठे तो अक्सर कामगार काम करते है
दौड़कर नेतृत्व देने का काम शिकायत करती है।

एक शिकायत ये भी है की शिकायते क्यों है मुझसे
पिंजरे के पक्षी से शिकायते नहीं सहानुभूति होनी चाहिए
कल जो आजाद हुआ मैं अगर इस शिकायती दुनिया से
तो न होगी कोई गलतियाँ और न कोई उपालम्भ।
 

राह

भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी  जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे  दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी  देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे  राह...