कुछ दीपक रूपी व्यक्तित्व हमें हमेशा मार्ग दिखाते है
फिर चाहे वे इस संसार में हो या न हो इस बे-फर्की से
कुछ दीप मन में भी जलने चाहिए
सिर्फ घर बाहर जलाने से क्या होगा।
कुछ उजाला बुद्धि विवेक का भी हो
सिर्फ प्रकाश के छलावे से क्या होगा।
थोड़ा तो मंथन खुद के कर्म का भी हो
सिर्फ दुसरो को राय देने से क्या होगा।
अमीरी तो उस भिखारी की मुस्कान में देखो
चिंतित राजा बन शमशान पहुंचने से क्या होगा।
एक दिया इस दीपावली मन में जला कर देखो
शायद सारा संसार ही कल तुमसे जगमग होगा।।
फिर चाहे वे इस संसार में हो या न हो इस बे-फर्की से
कुछ दीप मन में भी जलने चाहिए
सिर्फ घर बाहर जलाने से क्या होगा।
कुछ उजाला बुद्धि विवेक का भी हो
सिर्फ प्रकाश के छलावे से क्या होगा।
थोड़ा तो मंथन खुद के कर्म का भी हो
सिर्फ दुसरो को राय देने से क्या होगा।
अमीरी तो उस भिखारी की मुस्कान में देखो
चिंतित राजा बन शमशान पहुंचने से क्या होगा।
एक दिया इस दीपावली मन में जला कर देखो
शायद सारा संसार ही कल तुमसे जगमग होगा।।