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गुरुवार, 30 जून 2022

धूप

जब धूप हो बाल्टी भर
भूख समुद्र से बढ़ कर
मजदूर भागे काम पर
क्षुधा अग्नि के नाम पर।

श्रम के स्वेद से स्नान कर
अपनी छाती तान कर
कर्म को ही पूजा मानकर
मालिक के काम आसान कर।

निकलता जब काम तमाम कर
झुकी कमर थकी आंखे ले कर
घर पहुंच परिवार से मिल कर
थकान हो जाती न के बराबर।

अगली सुबह की तैयारी सोच कर
मन को शांत करने कोशिश कर
सो जाता चक्षु जल को सुखों कर
आज से अच्छे दिन की उम्मीद कर।


अमित(Mait)

राह

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