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बुधवार, 6 जुलाई 2022

तकदीर

अगर ईश्वर स्वयं तकदीर लिखता
किसी का कम न अधिक लिखता
भाग्य लिखते तो कर्म है स्वयं के
कोई स्वर्ण तो कोई घास बेचता।

अगर बाजार में सुकून बिकता 
न कोई दुःखी गमगीन दिखता
यूं तो हजारों साल बीत गए
हर कोई खोज में ही निकलता।

जब सूर्य खुद ज्वाला से भागता
तब विनाश खुद राग अलापता
झूठ सच से गुना कई तेज फैलता
तब मानवता अनंत प्रहार झेलता।

जब व्यक्ति सत्य के लिए खड़ा होता
दुनियां पत्थरों से स्वागत रोज करती
हर असफल प्रयास पर बारंबार हसती
सफलता के बाद सबका मुंह बंद होता।

अमित(Mait)

राह

भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी  जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे  दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी  देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे  राह...