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बुधवार, 12 जुलाई 2023

राह

भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी 

जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे 

दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी 

देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे 

राह पकड़ मनमानी ख़ुशी क्षणिक तुम्हारी 

रास्ते अपने बदलने पे मजबूर हो जाओगे 

मंजिल मिलेगी तुम्हे ये कह नहीं सकते 

हर मोड़ पे लेकिन तुम हमें ही पाओगें 

पलटना चाहोगे जो फिर से पीछे तुम 

हर द्वार पे तुम टाला लटकता पाओगें 

जो कोशिश की साथ चलने की तो फिर 

वादा है सफर ख़त्म वही तुम पाओगे 

शुक्रवार, 24 जून 2022

ललकार

सुधार
........करनी होगी


बिगड़ी जो तबियत है
रूठी जो किस्मत है
वक़्त की जो जरूरत 
हालात की मरम्मत।

वक़्त की ये ललकार
नव किरणों की बौछार
पक्षियों की चहचहकार
रात की वो करुण पुकार।

जब हार पहुंच चुकी हो द्वार पर
सेना का मनोबल हो ढलान पर
तब जो हो लड़ने को जोश भर
जीत उसी की निश्चित तौर पर।

टूटती हुई पंक्तियों से
भाव जोड़ने की
कोशिश इस हार को 
जीत में बदलने की।

राह

भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी  जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे  दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी  देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे  राह...