शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

खाली

यूँ तो साफ रहते है बगीचे
साफ होते घर ऊपर-नीचे
कचरा उठा फेकते बाहर
जहाँ मिलता न कोई घर

होती जगह वो खाली पर
झेलती सड़न और देती बदबू
कचरे से अटी होती इसकी रूह 
वजह इसी के कही फैलती खुशबू

लोग करते नफरत उस कचरे की जगह से
भूल जाते की वो कचरा आया कहा से
अगर वो ज़मीन घरो के कूड़ा न रखती
तो हालातों की व्याख्या कुछ और होती

फिर शायद वो जमीन बेहद खूबसूरत होती
घरो के बाहर और अंदर सिर्फ सड़न होती
भूल जाते है लोग कचरा फैलाकर जमीन पे
अगर बन गए महल उस जमीन पे तो 
खुद का घर ही कचराघर बन जायेगा।

राह

भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी  जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे  दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी  देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे  राह...