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बुधवार, 12 जुलाई 2023

राह

भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी 

जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे 

दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी 

देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे 

राह पकड़ मनमानी ख़ुशी क्षणिक तुम्हारी 

रास्ते अपने बदलने पे मजबूर हो जाओगे 

मंजिल मिलेगी तुम्हे ये कह नहीं सकते 

हर मोड़ पे लेकिन तुम हमें ही पाओगें 

पलटना चाहोगे जो फिर से पीछे तुम 

हर द्वार पे तुम टाला लटकता पाओगें 

जो कोशिश की साथ चलने की तो फिर 

वादा है सफर ख़त्म वही तुम पाओगे 

रविवार, 10 जुलाई 2022

अनूठा सफर

हारती कोशिशों में मैं हूँ 
फस चुका इस कदर 
बीतते हर लम्हे में रहा 
खो अपनी उमर 
अब तो सांसे लेना भी 
होता जा रहा दूभर।

थका हूँ विश्राम से मैं 
हर रोज इस कदर 
उठता हूँ सुबह तो दिन 
जाता है ठहर 
कोशिश आगे बढ़ने की 
पर बीतते सिर्फ पहर। 


उठ गया जो मैं चलने 
अपना ये सफर 
ख़त्म होगी हर मुश्किल 
बनेगा अमृत हर जहर
जहाँ चाह वहाँ राह 
ये एक ही डगर। 


तेरा साथ हो या न हो 
मै चलूँगा हर पहर 
मोह से भी न रुकूंगा 
न कोई गांव न शहर 
ध्येय से पहले न थमेगा 
मेरा ये अनूठा सफर। 

-अमित(Mait )




राह

भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी  जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे  दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी  देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे  राह...