सोमवार, 30 दिसंबर 2019

सो गयी है जो आत्मा उसे जगाने आया हूँ

सो गयी है जो आत्मा उसे जगाने आया हूँ
रो चुकी जो आंखे उन्हें सूखाने आया हूँ।
बहा चुके बहुत पसीना उन्हें पोछने आया हूँ
दर्द बढ़ चुका बहुत मुक्ति देने आया हूँ।

जिस मोड़ पर जब साथ छोड़े सब
उस मोड़ को ही बदलने आया हूँ।
जिस बात पे समझदार करे बहस 
उस बात पे सुलह कराने आया हूँ।

ये दर्द हर लम्हा जो सोने नहीं देता
उस दर्द को मरहम बनाने आया हूँ
ये कोलाहल जो सच सुनने नहीं देता
कोलाहल को संगीत बनाने आया हूँ।

हार के बैठ चुके जो अपना मन जीवन
उन्हें फिर से उठ खड़ा करने आया हूँ।
जो खुद को आज़ाद न देख सके कभी
उन्हें आज़ाद और नयी सोच देने आया हूँ।

सो गयी जो आत्माये उन्हें जगाने आया हूँ
लग गयी जो जंग उन्हें चमकाने आया हूँ।
भूल गए जो जीवन का मूल मंत्र और अर्थ
उन्हें जीवन का अर्थ समझने आया हूँ।

-Mait



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