शनिवार, 11 सितंबर 2021

हिंदी

हिंदी सिर्फ भाषा नहीं ये है एक परिभाषा 

हर निराशा को हटा लाती नयी आशा। 

इतिहास से लेकर भविष्य के पन्नो तक 

गुंजायमान है इसकी प्रखर ओजस्वी आभा।

 

राष्ट्र की तरह इसका ह्रदय विशाल

प्यार की ये मूर्ति संयम की मिसाल।

हो शब्द किसी भी भाषा के उत्पन्न 

कर समाहित स्वयं को करती संपन्न। 

 

कमजोर जो समझे इसे कमजोर है वो 

गुणवान है ये पर गुणगान न पाये जो। 

जो हिंदी से ही पाते वैभव और विलास 

नहीं करते तिनका भी हिंदी का विकास। 

 

वास्तव में ये है एक बड़ा अपमान

सिर्फ १४ सितम्बर को देते जो सम्मान।

हिंदी एक दिन की नहीं मेहमान 

हिंदी तो है विश्व विकास की पहचान।


समझ रहे जो हिंदी को एक नदी शांत 

जाग जाये वरना उठेगी वो लहर अनंत। 

भीग जायेगी हर धधकती भयावह अग्नि 

सर्वत्र व्याप्त होगी सिर्फ हिंदी की ध्वनि। 


सम्मान करे उस मातृभूमि का 

जिसने हमें दिया ये जीवन।

सम्मान करे उस मातृभाषा का 

जिसने हमें दिया ये पहचान। 


- अमित मौर्य

 


 

राह

भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी  जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे  दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी  देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे  राह...