गुरुवार, 25 अगस्त 2022

हारती किस्मत से लड़ती मेरी हिम्मत

बढ़ने लगे हद से ज्यादा जग में हैवानियत

जब होने लगे ज़माने भर में हमारी जिल्लत 

कर्म क्षेत्र में हो वक़्त की बेइंतहा किल्लत

संदेह में हो जब हमारी ये सच्ची मासूमियत 

खोने लगे आस्था श्रद्धा भक्ति प्रेरणा ये जगत 

तब खुद से खुद जंग हैं ये समय की जरुरत

मरती उम्मीदों के संग मेरी असंख्य जुर्रत 

पुराने खयालो के रंग मेरी अनूठी जिद्दत 

भिड़ता रोज बचाने को धरा की ये अस्मत  

हारती किस्मत से लड़ती मेरी अनंत हिम्मत। 


-अमित (Mait)




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