रथ जो ठहरा ये
ज्ञान का
फैले हुए अज्ञान से
पता नही
कब चालू होगा।
शुद्धता का
फैले हुए प्रदूषण से
पता नही
कब चालू होगा।
बाधित हुआ पथ ये
मानवता का
फैली हुई कट्टरता से
पता नही
कब चालू होगा।
-अमित(Mait)
भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे राह...