देख रिक्शेवाले का पसीना भुला मैं पानी पीना
जब मुस्कराहट जो देखी तपन के बाद भी
जो मिला पूरा पारिश्रमिक उसके हाथों मे
समझ न पाया किसे आता है सच में जीना।।
कुछ बात तो रह जाती है हममें हर बार
जो दिख नहीं पाती खुद कमियां हज़ार
देख लेते है कमियां दूसरो की हर बार
खुद के बड़े गुनाह भी लगते है फलदार
सको तो देखो सबकी खूबियां हजार।।
आता है जीना तो जी के दिखाओ यार
बोलकर लोग कर जाते है जन्नत भी पार
आज की तकलीफ है ये एक कारोबार
करते है तुलना हर एक से हर एक बार
एक छोटी नाव लगा देती समुन्दर पार।।