सूखापन ही तो है मौत का कारण
बेरुखी से ये सारे रिश्ते क्यो मरते
पानी जब ना मिले प्यार के चलते
रेगिस्तानों में कांटे ही क्यों खिलते।।
सिक्को की खनक परेशान भले करती
नोटों की परेशानी भीगने में ही है दिखती
रिश्ता हो सिक्को सा तो क्या है उलझन
जो हो शोरदार पर हर हाल काम तो आये।।
हैं भूल नही तो और क्या ये हर दिन की
कभी हैं जो तैयारियां रखि रखी रह जाती हैं
कुछ भूल होती हैं और कुछ ग़लतियाँ मेरी
हँसना हर कोई चाहता है हँसाना ना कोई।।
कुछ पंक्तियां लिख मैं ना पाया सिर्फ ये सोचकर
ना जाने क्या अर्थ निकालेंगे जब सुनेंगे कानभर
ना अर्थ मेरा वो जो हर कोई समझ पाया
न अर्थ मेरा वो जो कोई न समझ पाया
है ये जो अधूरापन वही तो है मेरा आईना
बस समझ सके जो कोई अलिखित पंक्तियों को
तो फिर क्या फर्क मुझमें और तुझमें रह जाएगा।।
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