बुधवार, 23 अक्तूबर 2019

बहती है लगातार

बहती है जो ये हवायें है
सांसो को जीवन बनाये है
कुछ तो खास है इनमे

जो चलती है लगातार।

कभी बन ठण्ड में शीतलहर
तो बन कभी लू का कहर
कभी ले आती चक्रवात तो
कभी देती सुगंध बरसात की।

न थकती न रूकती
न करती भेदभाव
ये हवा है कुदरती
यही इसका स्वभाव। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

राह

भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी  जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे  दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी  देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे  राह...