रविवार, 10 जुलाई 2022

चांदनी

जिस चाँद के लिए सूरज को भुलाया

किसी और के लिए मुझे किया पराया। 


जिसके लिए रात भर खुद को जलाया

दिन होते ही अपने लिए अँधेरा पाया। 


शाम को जब दुबारा चाँद आया 

चांदनी ने दिल को खूब रिझाया। 


खो गयी सारी की सारी छाया 

जब अमावस्या का दिन आया। 


आज तो ऐसा दिन हैं आया

खोयी चांदनी खोया उजाला। 


न प्याली बची न प्याला 

ख़त्म हुई मधुशाला।


-अमित(Mait )

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