न मुझसे कही गयी
न तुम्हारी सुनी गयी।
न बयां हो सकी
न दफ़न हो सकी।।
सूखे में थी बरसात
अकेलेपन में दी साथ।
अँधेरे में बनी चिराग
ये मेरी किताब।।
न तुम्हारी सुनी गयी।
न बयां हो सकी
न दफ़न हो सकी।।
सूखे में थी बरसात
अकेलेपन में दी साथ।
अँधेरे में बनी चिराग
ये मेरी किताब।।
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