है सूर्यास्त जो होने वाली है
शाम भी अब ढलने वाली है।
लोग थक चुके अब काम कर कर
आराम की चांदनी फैलेगी हर घर।
सूर्य भी जा चुका अब घर अपने
बच्चे भी खेलने लगे खिलौने।
सुबह से जो निकली वो किरण
अब नींद की बनेगी विकिरण।
लिखती सदा ये एक चिर कथा अनंत
सूर्यास्त तो है केवल एक पृष्ठ का अंत।
समझ चुके पक्षी की होने वाली है रात
आते होंगे माँ बाप आज के दाने के साथ।
होगी फिर सूर्योदय एक नई शुरुआत
हम होंगे संग होगी हमारी मुलाकात।
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