आज है दफ़न ओढ़े स्वार्थ का संगीत
मिल रही जो कुर्सी उसका न कोई मान
सिर्फ जेब भरने पे ही लोगो का ध्यान
जो था धर्म का काम खो चूका सम्मान
हर तरफ हो रहा इसका अपमान
बढ़ रही कुरीति घेरती अनीति
लोग समझ रहे इसे राजनीती
अब भी वक़्त दूर करो ये अज्ञानता
चलो धर्म पथ पर लाओ समानता
वरना एक दिन ये जग खुद बोलेगा
लोगो के दिल दिमाग का खून खौलेगा
कुर्सी तो न दिखेगी तख़्त भी डोलेगा
सीधा प्रजा का प्रजा पे शासन होवेगा
बैठेगा न कोई नेता कुर्सी पे कंप्यूटर बैठेगा
आवाज होगी जनता की पर मशीन बोलेगा
लोकतंत्र का नया अध्याय अब जग में घोलेगा
न किसी को कोई व्यक्ति बेवजह तौलेगा
-अमित (mAit)
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