"विकास का लक्ष्य"
अगर बार बार घरो के गिरने के कारण गहरी नींव का विकास न होता तो आज गगनचुम्बी इमारते सिर्फ कहानियो में होती जमीन पे नही.
360° घूम कर किसी को भी धोखा हो सकता है कि वो तो हिला भी नही आप धीरे धीरे पूरा चक्कर काट चुके होते है।
जब कोई व्यक्ति अपने मार्ग पे आगे बढ़ता है लेकिन किसी कारण अगर लक्ष्य तक पहुंच नहीं पाता तो उसको ये वहम होना बेहद आम बात है की उसने कुछ नहीं किया पर कई बार ये असफल प्रयास लक्ष्य तक पहुंच चुके तथाकथित सफल लोगो के प्रयास से उत्कृष्ट और प्रशंसनीय हो सकता है.
विश्वास खुद पे होना चाहिए जब लोग प्लूटो जैसे मेहनती प्लेनेट को जो सूर्य का धरती से सैकड़ो गुना ज्यादा बड़ा पथ तय करता है उस को सिर्फ एक भौतिकी की काट के कारण ग्रहो तक की श्रेणी से अलग कर सकते है तो एक व्यक्ति क्या है, लेकिन क्या इससे उस प्लूटो के किसी भी 1 सेकंड के चक्कर लगाने में परिवर्तन हुआ या होगा नामुमकिन है क्योंकि उसे उसका लक्ष्य पता है।
लक्ष्य रहित व्यक्ति, वस्तु और समय हमेशा शून्य में बदल जाते है।
मिलते है अगले पोस्ट में तब तक के लिए धन्यवाद
आपका समय शुभ हो।
आपका समय शुभ हो।
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