शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

सारे जहाँ से अच्छा

रात की छाँव में
दिन की धूप में
गीत की धुन में

शोर के मौन में
शान्ति के खौफ में
जीत की हार में

खुशियो की डोर में
जन्मो के भोर में
आतंक के दौर में

रहस्य की खोज में
कर्मो के योग में
घटनाओ के संयोग में

अनंत के अंत में
अंत के अनंत में
शीत के समर में

पर्वत के शिखर में
समुद्र के गर्त में
प्रकृति के मर्म में

सारे जहां से अच्छी 
मुस्कान है तुम्हारी

मुस्कान ही वो अंत है
जहां खुशिया अनंत है
कर्म हो कितने सख्त ही
रख मुस्कान एक दरख्त ही

बहे क्यो न रक्त ही
टूटे ध्येर्य जब कभी
कर मुस्कान अमर ही
जीत होगी तेरी ही

स्वीकार न तू हार को
साहस की बना ढाल तू
रख सहस्त्र मुस्कान तू
शत्रु न देख पाए तो

तोड़ दे भ्रम भूल सारे ग़म
उठा कदम और अपने हाथ
साहस और ध्येय के साथ
दिशाएँ सारी होंगी साथ

अस्त्र- शस्र्त्र और है गाथा  ये 
हर युद्ध की विजय शलाका है ये
सभी की एक पहचान ये
हर एक की मुस्कान ये।।।।



-Mait

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