रात की छाँव में
दिन की धूप में
गीत की धुन में
शोर के मौन में
शान्ति के खौफ में
जीत की हार में
खुशियो की डोर में
जन्मो के भोर में
आतंक के दौर में
रहस्य की खोज में
कर्मो के योग में
घटनाओ के संयोग में
अनंत के अंत में
अंत के अनंत में
शीत के समर में
पर्वत के शिखर में
समुद्र के गर्त में
प्रकृति के मर्म में
सारे जहां से अच्छी
मुस्कान है तुम्हारी
मुस्कान ही वो अंत है
जहां खुशिया अनंत है
कर्म हो कितने सख्त ही
रख मुस्कान एक दरख्त ही
बहे क्यो न रक्त ही
टूटे ध्येर्य जब कभी
कर मुस्कान अमर ही
जीत होगी तेरी ही
स्वीकार न तू हार को
साहस की बना ढाल तू
रख सहस्त्र मुस्कान तू
शत्रु न देख पाए तो
तोड़ दे भ्रम भूल सारे ग़म
उठा कदम और अपने हाथ
साहस और ध्येय के साथ
दिशाएँ सारी होंगी साथ
अस्त्र- शस्र्त्र और है गाथा ये
हर युद्ध की विजय शलाका है ये
सभी की एक पहचान ये
हर एक की मुस्कान ये।।।।
-Mait
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें