गुरुवार, 16 अगस्त 2018

अटल...................कवि और लेखक कभी मरते नहीं................वो अटल अमर और अजेय है

सुबह से जो चला हूँ न रुका न थका हूँ
जीतना था जग खुद को जीतने चला हूँ
हो शाम या रात न करूँगा तनिक आराम मैं।
न होगी कोई रुकावट न अल्पविराम तय
है साँझ ऐसी तो न जाने सुबह कैसी होगी
जब साथ नहीं अटल तो जीत कैसे होगी।।

राह मेरी मुश्किल पर हार न मेरी होगी 
है अगर समस्या तो समाधान भी होगी  
फिर उठूंगा गिरकर तेज़ धार मेरी होगी ।
है अटल संग मेरे बुनियाद मेरी बनके
हर रात मेरी होगी हर प्रभात मेरी होंगी
हर राह तेरी होंगी पर मंजिल मेरी होंगी।।

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राह

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