शनिवार, 11 अगस्त 2018

आज सुनो

आज सुनो


कर्म की आग में तुम हो
धर्म के राग में तुम हो
जन्म के उपहार में तुम हो
जीव के संहार में तुम हो
।।
 
सत्य की राह पे मैं हूँ
धर्म की चाह में मैं हूँ
 मृत्यु की पनाह में मैं हूँ
खुद के इंतज़ार में मैं हूँ
।।

 तुम शाम की बची धुप हो
मैं भोर के पहले की रात्रि हूँ
 कुछ पल में खुद को खो दोगी
मैं दिन बन जहाँ में छाऊँगा
।।
 
तुम थक चुकी अब इस पहर
मैं थकावट सब की मिटाऊंगा

न कोई गांव न बचा कोई शहर
नयी सुबह जब होगी इस पहर
।।
 
तुम अंत हो कार्य दिवस का
मैं आरम्भ हु इस जग का
 नए दिन न हो कोई उदास
उजाले से होता ये प्रयास
।।

थका वही जो रुका कही
उठा वही जो रुका नहीं
 बंधा वही जो टूटा कही
जीता वही जो हारा कही
।।

सुनो बस आज मेरी बात
फिर कह लेना सारी रात
 ना मैं कुछ कहूंगा इसके बाद
न हो पायेगी कोई मुलाकात।।।।

-Mait

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