चुप क्यों हैं तू,
मैं नारी हूँ, मैं हारी हूँ
ना तू यह मलाल कर,
ना खड़ी तू देख गलत को,
अब तो तू बवाल कर,
रास्ते ना मिले तो तू,
खुद की राह निर्माण कर।
चुप क्यों हैं तू,
ना तू अपनी आवाज दबा,
अब तो तू सवाल कर,
ना मिले जवाब तो,
खुद जवाब तलाश कर,
कुछ तो अच्छा ढूँढ़ ले खुद में,
ना मन को यूँ तू उदास कर।
चुप क्यों हैं तू,
जो भी पास है तेरे,
उससे ही तू कमाल कर,
शिक्षित हुआ समाज,
फिर भी कोख़ में मारी है,
ना खड़ी तू देख गलत को,
अब तो तू बवाल कर।
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