जान जाती है तो जाए मुझे क्या हैं
बदल रहे आसमान के रंग कुछ यूं
लगता है बहुत फटेंगे बादल अब तो
तूफान आता है तो आए मुझे क्या हैं।
आज मैने दिन सारा यूं जिया
सुबह को शाम बेफिक्र किया
रंग बदल गए लोगो के
जब सच को सच और
झूठ को झूठ बता दिया।
अंधेरा इतना बढ़ गया
इस व्यस्तता की धूप में
की वो किरण भी न दिखे
जिसे जलाने के लिए
न जाने कितने बुझे दिये।
अब सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा
काले बादलो से आकाश
सराबोर हर ओर छोर है
दिखती न तारों की चमक
चाँद भी छोड़ रहा बसेरा।
- अमित(Mait)
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