शुक्रवार, 8 जुलाई 2022

रात

रात आती है तो आए मुझे क्या हैं
जान जाती है तो जाए मुझे क्या हैं
बदल रहे आसमान के रंग कुछ यूं
लगता है बहुत फटेंगे बादल अब तो
तूफान आता है तो आए मुझे क्या हैं।

आज मैने दिन सारा यूं जिया 
सुबह को शाम बेफिक्र किया
रंग बदल गए लोगो के 
जब सच को सच और
झूठ को झूठ बता दिया।

अंधेरा इतना बढ़ गया
इस व्यस्तता की धूप में
की वो किरण भी न दिखे
जिसे जलाने के लिए
न जाने कितने बुझे दिये।

अब सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा
काले बादलो से आकाश
सराबोर हर ओर छोर है
दिखती न तारों की चमक
चाँद भी छोड़ रहा बसेरा।

- अमित(Mait)


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

राह

भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी  जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे  दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी  देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे  राह...