शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

यात्रा


यात्रा क्या है?

उससे पूछो जिसने पथ को ही घर 

राहगीरों को ही पडोसी 

प्रकृति को पालक तुल्य 

खुले आसमान को चादर 

सूर्य-चंद्र को पथ प्रदर्शक

और मंजिल को ही ईश्वर बना रखा हैं। 


यात्रा संगम है पथ और पथिक का 

यात्रा गणित है शून्य से अनंत का 

यात्रा तो सार है मानव चरित्र का 

यात्रा मर्म है जन्म से स्मरण का। 


हैं कौन ऐसा जो यात्रा से वंचित है 

ऐसा क्या जो सदियों से संचित हैं 

अमर कौन जो विनाश से सुरक्षित है

यात्रा सार ये गतिमान ही जीवित है। 


अब जब 

यात्रा मंजिल से दूर ही ख़त्म हो रही 

आँखों से धूल न अब ख़त्म हो रही 

दिखायी आगे मंजिल न पड़ रही 

समझ लो बाकि है लम्बा रास्ता 

ये केवल एक पड़ाव जो यहाँ पड़ रही 

लो विश्राम और थोड़ा तो सब्र करो 

सुबह खुद तुम्हारा इंतज़ार कर रही 

पाओगे मंजिल लेश मात्र संदेह नहीं 

बस यात्रा का साथ कभी छोड़ना नहीं 

पथिक वो महान जो लक्ष्य से पहले 

न भटके, न थके और न रुके कभी 

पर जो दुसरो के लिए थक-भटक कर

साथ चल लक्ष्य पाए सर्व शक्तिमान वही। 


इस जग में ऐसा कोई भी ईश्वर हुआ नहीं जिसने यात्रा का कष्ट झेला नहीं 

ये मनुष्यत्व से ईश्वरत्व की है सीढ़ी है सागर से पर्वत की संयोग की है बेला 

वो उतना ही निखर आया जितना कष्ट और दुःख और विरह जिसने झेला।


यात्रा से स्वयं ईश्वर ही न बच पाए -

जिसने यात्रा में ही रक्षा की वो राम, जिसने रक्षा में जीवन यात्रा की वो कृष्ण कहलाये 

जिसने सत्य के लिए की यात्रा वो बुद्ध, और जिसने यात्रा ही सच कि की वो जैन कहलायें 


यात्रा का उद्देश्य स्थापना हो तो प्रगति-

जिसने धर्म के लिए राज स्थापित किया वो युधिष्ठिर धर्मराज कहलाये(इंद्रप्रस्थ -दिल्ली)

जिसने राज के लिए धर्म स्थापित किया वो आचार्य चाणक्य कहलाये(मगध - पटना)

जिसने भविष्य को सूरज दिया लोकतंत्र का वो सम्राट अशोक कहलाये(पंचायत प्रणाली)

जिसने बिना किसी बाहरी मदद सिकंदर को हराया वो राजा पोरस कहलाये(राजा पुरुषोत्तम)

जिसके रहते अरबो ने घुटने टेके हुए विफल सिंध को न कर पाए पर दाहिर कहलाये(सिंध-ईरान)

जिसने न हारा कोई भी युद्ध ४१  में से वो पेशवा बाजीराव कहलाये(चौथे पेशवा महाराष्ट्र)

जिसके एक कदम बढ़ाने से अंग्रेजो की नींद उडी वो नेताजी सुभाषचंद्र बोस कहलाये(बंगाल)

जिसके जोश से दुनिया का शक्ति केंद्र हिल गया वो प्यारे लाल बहादुर शास्त्री कहलाये(प्रधानमंत्री)

जिसने देश को दूरदर्शी सोच दे अंदर से जगाया वो सर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम कहलाये(राष्ट्रपति)

ये भारत ऐसे उदाहरणों से भरा है की मुश्किल हर एक को लिख पाए

अब बारी है आपकी यात्रा पूरी कर एक नया उदाहरण बनायें । 



-अमित (Mait)




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