जंग के मैदान में जब खुद को पाया
लड़ने से न खुद को रोक पाया
काल का साया चहुओर छाया
युद्ध गीत जो तुमने गाया
तैयार खुद को हमने पाया।
उखड़ने लगे आलीशान दरख़्त
ह्रदय होने लगे कुछ और सख़्त
जमीं पे फैलने लगा लाल रक्त
समझ गया बचा है कम वक़्त
यही इस युद्ध का तत्व।
-अमित(Mait)
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