शनिवार, 9 जुलाई 2022

भटकता मन

ढूंढने उजली सुबह इस उलझी रात के बाद
टूटे दिल और भटकते मन के साथ
अब इंतजार नहीं किसी भोर का
क्योंकि लाना है उजाला
खुद ही को जलाकर।


जब तकलीफ बताने की इच्छा ना हो 
तो लिखना ही बेहतर होता है,
कहां इस दुनिया में कोई दुःख से खुश 
और हंसी के लिए रोता हैं।


जो बदल नहीं सकते उस बारे में सोचना व्यर्थ हैं
जो बदलना जरूरी हैं उस बारे न सोचना पाप हैं।

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