कुछ तो जागना बाकी है
कुछ तो भीगना बाकी है
कुछ बरसात अभी बाकी है।
सूरज की रोशनी में भी
कुछ किरणों की कमी है
चाँद की चांदनी में अभी
ठंडक थोड़ी बाकी है।
मन तो है भिड़ जाऊ अभी
पर थोड़ी तैयारी बाकी है
पहुंच तो जाऊंगा मंजिल तक
कुछ भटकना अभी बाकी है।
सूखापन ही तो है मौत का कारण
बेरुखी से ये सारे रिश्ते क्यो मरते
पानी जब ना मिले प्यार के चलते
रेगिस्तानों में कांटे ही क्यों खिलते।।
सिक्को की खनक परेशान भले करती
नोटों की परेशानी भीगने में ही है दिखती
रिश्ता हो सिक्को सा तो क्या है उलझन
जो हो शोरदार पर हर हाल काम तो आये।।
हैं भूल नही तो और क्या ये हर दिन की
कभी हैं जो तैयारियां रखि रखी रह जाती हैं
कुछ भूल होती हैं और कुछ ग़लतियाँ मेरी
हँसना हर कोई चाहता है हँसाना ना कोई।।
कुछ पंक्तियां लिख मैं ना पाया सिर्फ ये सोचकर
ना जाने क्या अर्थ निकालेंगे जब सुनेंगे कानभर
ना अर्थ मेरा वो जो हर कोई समझ पाया
न अर्थ मेरा वो जो कोई न समझ पाया
है ये जो अधूरापन वही तो है मेरा आईना
बस समझ सके जो कोई अलिखित पंक्तियों को
तो फिर क्या फर्क मुझमें और तुझमें रह जाएगा।।
है सूर्यास्त जो होने वाली है
शाम भी अब ढलने वाली है।
लोग थक चुके अब काम कर कर
आराम की चांदनी फैलेगी हर घर।
सूर्य भी जा चुका अब घर अपने
बच्चे भी खेलने लगे खिलौने।
सुबह से जो निकली वो किरण
अब नींद की बनेगी विकिरण।
लिखती सदा ये एक चिर कथा अनंत
सूर्यास्त तो है केवल एक पृष्ठ का अंत।
समझ चुके पक्षी की होने वाली है रात
आते होंगे माँ बाप आज के दाने के साथ।
होगी फिर सूर्योदय एक नई शुरुआत
हम होंगे संग होगी हमारी मुलाकात।
भटकाव है या जो फितरत है तुम्हारी जो तुम अपने रास्ते अलग कर जाओगे दर्द हो या तकलीफ या हो कोई बीमारी देख लेना एक दिन यूँ बहुत पछ्ताओगे राह...